योगी सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी




 उत्तर प्रदेश सरकार ने नई सोशल मीडिया पॉलिसी  को मंजूरी दी है । इस संबंध में नीति लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी । सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पोस्ट का कंटेंट अभद्र, अश्लील और राष्ट्र विरोधी नहीं होना चाहिए।

    सूचना विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, "सरकार ने यूपी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में ट्वीट/वीडियो/पोस्ट/रील जैसे डिजिटल माध्यमों के माध्यम से सामग्री बनाने और प्रदर्शित करने के लिए एजेंसियों/फर्मों को विज्ञापन देने के लिए सूचीबद्ध करने का फैसला किया है। इससे राज्य के नागरिकों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।"

  लागू की गई नीति के अनुसार, अगर ऐसा पाया जाता है कि कोई भी कन्टेन्ट (मैटर) राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी, या अभद्र या समाज की विभिन्न वर्गों की भावना को ठेस पहुंचाता हो, या गलत तथ्यों पर आधारित हो, सरकार की योजनाओं को गलत मंशा से या गलत ढंग से प्रस्तुत करता हो तो उस स्थिति में सूचना निदेशक की स्वीकृति से भुगतान सम्बन्धी शर्तों को पूरा करने के बावजूद भुगतान रोका जा सकता है. आपत्ति जनक पोस्ट सम्बन्ध में निदेशक सूचना विधिक कार्यवाही कर सकेंगे. इसके तहत पहले से विद्यमान कानूनों के दायरे में कार्यवाही की जा सकती है. विज्ञापन के लिए सूचीबद्धता भी निरस्त हो सकती है.

      नई सोशल मीडिया नीति में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रभावशाली लोगों, खाताधारकों और ऑपरेटरों के लिए भुगतान सीमा भी निर्दिष्ट की है। एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम के लिए, अधिकतम मासिक भुगतान सीमा क्रमशः 5 लाख रुपये, 4 लाख रुपये और 3 लाख रुपये निर्धारित की गई है। यूट्यूब पर, वीडियो, शॉर्ट्स और पॉडकास्ट के लिए भुगतान सीमा क्रमशः 8 लाख रुपये, 7 लाख रुपये, 6 लाख रुपये और 4 लाख रुपये है।

     योगी सरकार अपनी जनकल्याणकारी, लाभकारी योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए यह नीति लेकर आई है। इसके तहत अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब पर प्रदेश सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों पर आधारित कंटेंट, वीडियो, ट्वीट, पोस्ट और रील को शेयर करने पर उन्हें विज्ञापन देकर प्रोत्साहित किया जाएगा और इसके लिए सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स, कंटेट राइटर्स, फर्म या एजेंसी का कम से कम 2 वर्ष से अस्तित्व में होना जरूरी है.

     नई नीति के तहत, राष्ट्र-विरोधी सामग्री पोस्ट करना एक गंभीर अपराध है जिसके लिए तीन साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा सहित गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इससे पहले, इस तरह की कार्रवाइयों को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ई और 66एफ के तहत संबोधित किया जाता था, जो क्रमशः गोपनीयता उल्लंघन और साइबर आतंकवाद से निपटते हैं।

आधिकारिक बयान के अनुसार, नीति में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन अश्लील या अपमानजनक सामग्री का प्रसार करने पर आपराधिक मानहानि के आरोप लग सकते हैं, जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के दुरुपयोग के कानूनी परिणामों को और भी अधिक रेखांकित करता है। सरकार ने एक डिजिटल एजेंसी 'वी-फॉर्म' को सूचीबद्ध किया है जो विज्ञापनों को संभालेगी। यह वीडियो, ट्वीट, पोस्ट और रील दिखाने के लिए जिम्मेदार होगी।

इसलिए अब उत्तर प्रदेश सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी को जान कर, समझकर ही पोस्ट शेयर करें और कानून व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हुए अपने लिए स्वयं रोजगार का सृजन करें, उत्तर प्रदेश सरकार सभ्य, शालीन और राष्ट्रवादी सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स के साथ खड़ी है.



प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

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