16साल की मुस्लिम लड़की को वैध विवाह का अधिकार-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने मंगलवार (19 अगस्त) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को ख़ारिज कर दिया गया। याचिका द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 2022 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा गया था कि 16 साल की मुस्लिम लड़की किसी मुस्लिम पुरुष से वैध विवाह कर सकती है और दंपति को धमकियों से सुरक्षा प्रदान की गई थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने निर्णय में कहा कि
"राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) इस मुकदमे से अनजान है और उसे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।"
खंडपीठ ने पूछा कि-
"राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को धमकियों का सामना कर रहे दंपति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देनी चाहिए?"
खंडपीठ ने कहा,
"NCPCR के पास ऐसे आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है... अगर दो नाबालिग बच्चों को हाईकोर्ट द्वारा संरक्षण प्राप्त है तो NCPCR ऐसे आदेश को कैसे चुनौती दे सकता है... यह अजीब है कि NCPCR, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए है, उसने ऐसे आदेश को चुनौती दी।"
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वकील ने दलील दी कि
"वे कानून का सवाल उठा रहे थे कि क्या 18 साल से कम उम्र की लड़की को सिर्फ़ पर्सनल लॉ के आधार पर कानूनी तौर पर शादी करने की योग्यता रखने वाला माना जा सकता है?"
जिस पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ की जस्टिस नागरत्ना ने कहा,
"कानून का कोई सवाल ही नहीं उठता, कृपया आप किसी उचित मामले में चुनौती दें।"
याचिका खारिज करते हुए खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा:
"हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि NCPCR ऐसे आदेश से कैसे व्यथित हो सकता है। अगर हाईकोर्ट, अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए दो व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करना चाहता है तो NCPCR के पास ऐसे आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।"
खंडपीठ ने कहा-
"ऐसे मामलों को आपराधिक मामलों की तरह न देखें। हमें आपराधिक मामलों और इस मामले में अंतर करना होगा।"
जस्टिस नागरत्ना ने आगे कहा,
"देखिए, अगर लड़की किसी लड़के से प्यार करती है और उसे जेल भेज दिया जाता है तो उस लड़की को कितनी पीड़ा होती है, क्योंकि उसके माता-पिता भागने को छिपाने के लिए POCSO का मामला दर्ज करा देते हैं।"
Case Details :
NATIONAL COMMISSION FOR PROTECTION OF CHILD RIGHTS (NCPCR) Versus GULAAM DEEN AND ORS.| SLP(Crl) No. 10036/2022, NCPCR vs JAVED AND ORS Diary No. 35376-2022, NCPCR vs FIJA AND ORS SLP(Crl) No. 1934/2023
आभार 🙏👇
प्रस्तुति
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
16 साल की लड़की बच्ची होती है उसे वैध विवाह का अधिकार देना कानूनी रूप से सही नहीं है.
जवाब देंहटाएंसहमत, टिप्पणी हेतु आभार 🙏🙏
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