जब्त मादक पदार्थ की वीडियो रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर मान्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
अदालत ने स्पष्ट किया कि
"वीडियो को हर गवाह की गवाही के दौरान चलाना आवश्यक नहीं है।"
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट का वह आदेश रद्द किया जिसमें एनडीपीएस मामले में सिर्फ इसलिए पुनःविचारण का निर्देश दिया गया था क्योंकि वीडियो गवाहों के सामने नहीं चलाया गया और न ही उसका ट्रांसक्रिप्ट बनाया गया।
फैसले में कहा गया कि
"सीडी एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है और धारा 65B की शर्तें पूरी होने पर यह दस्तावेज़ की तरह स्वीकार्य है। वीडियो की सामग्री देखकर अदालत निष्कर्ष निकाल सकती है।"
ट्रायल कोर्ट में वीडियो आरोपियों, वकीलों और न्यायाधीश की मौजूदगी में चलाया गया था और अदालत ने गवाहों व आरोपियों की उपस्थिति भी देखी थी, इसलिए पुनःविचारण आवश्यक नहीं।
पृष्ठभूमि में, पुलिस ने छापों में 147 किलो गांजा जब्त किया था। ट्रायल कोर्ट ने दो को दोषी ठहराया और दो को बरी किया। हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि रद्द कर पुनःविचारण का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
"धारा 52A NDPS अधिनियम के तहत इन्वेंट्री, सील नमूने और फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार होने पर संपूर्ण मादक पदार्थ अदालत में पेश न होना अभियोजन के लिए घातक नहीं है।"
आभार 🙏👇
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
सही निर्णय 👍
जवाब देंहटाएंसहमत, प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद 🙏🙏
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