धर्म परिवर्तन फर्जी होने पर शादी अवैध-इलाहाबाद हाई कोर्ट
धर्म परिवर्तन के फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग करने आए मुस्लिम पुरुष-हिन्दू नारी के विवाह को अमान्य करार दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील पर कोर्ट द्वारा 25,000 रुपये हर्जाना भी लगाया गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा है कि
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने मोहम्मद बिन कासिम उर्फ अकबर नाम के एक व्यक्ति और अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता का अनुरोध था कि अदालत प्रतिवादियों को यह निर्देश जारी करे कि वे उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में दखल न दें.
➡️ मामला संक्षेप में-
याचिकाकर्ता के एडवोकेट द्वारा बताया गया कि मोहम्मद बिन कासिम मुस्लिम है, जबकि जैनब परवीन उर्फ चंद्रकांता हिंदू है। चंद्रकांता ने 22 फरवरी, 2025 को इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया और उसी दिन खानकाहे आलिया अरिफिया द्वारा इसका प्रमाण पत्र जारी किया गया था। 26 मई, 2025 को मोहम्मद बिन कासिम और जैनब परवीन उर्फ चंद्रकांता ने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया था, जिसमें याचिका कर्ता के वकील द्वारा दी गई सूचना के अनुसार संबंधित काजी द्वारा विवाह प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था। जिसके बारे में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता द्वारा इस आधार पर याचिका का विरोध किया गया कि कथित तौर पर खानकाहे आलिया अरिफिया द्वारा जारी धर्मांतरण प्रमाण पत्र फर्जी है क्योंकि जामिया अरिफिया, कौशांबी के सचिव/प्रबंधक सैयद सरवान द्वारा बताया गया था कि 22 फरवरी, 2025 को उनके संस्थान द्वारा कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।
➡️ धर्म परिवर्तन फर्जी होने पर शादी अवैध
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा,
“संबंधित पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने और संपूर्ण रिकॉर्ड पर गौर करने के बाद एक बात एकदम साफ है कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर धर्मांतरण, उप्र गैर कानूनी धर्मांतरण अधिनियम में उल्लिखित आवश्यक तत्वों में से किसी का निर्धारण नहीं कर सकता।”
हाई कोर्ट ने कहा,
“दोनों पक्षों के बीच ऐसी शादी कानून की नजर में भी कहीं नहीं टिकती क्योंकि मुस्लिम कानून के मुताबिक, शादी इस्लाम को मानने वालों के बीच एक अनुबंध है। एक बार धर्म परिवर्तन अवैध होने पर कानून की नजर में उस दंपति को शादीशुदा दंपति के तौर पर नहीं माना जा सकता।”
"इस तरह धर्म परिवर्तन अवैध तो कपल को शादीशुदा नहीं माना जा सकताः इलाहाबाद हाईकोर्ट"
➡️ भ्रमित करने के लिए वकील पर लगाया जुर्माना-
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ता-
"मोहम्मद बिन कासिम और चंद्रकांता विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के पात्र हैं जिसके लिए धर्म परिवर्तन की जरूरत नहीं है।"
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि
"विशेष विवाह अधिनियम के तहत जारी प्रमाण पत्र के प्राप्त होने तक याचिकाकर्ता चंद्रकांता को प्रयागराज के महिला संरक्षण गृह में रखा जाएगा क्योंकि महिला अपने माता पिता के साथ रहने की इच्छुक नहीं है और उसने महिला संरक्षण गृह जाने की इच्छा जताई है।"
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने निर्णय में याचिकाकर्ता के वकील पर 25,000 रुपये हर्जाना लगाया जिसे 15 दिनों के भीतर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में जमा किया जाएगा।
आभार 🙏👇
24 सितंबर 2025
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
Nice judgement 👍
जवाब देंहटाएंAgree with you, thanks to comment 🙏🙏
हटाएं