सात फेरों के बगैर भी हिन्दू शादी वैध-दिल्ली हाईकोर्ट


दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि 

"हिंदू विवाह में सप्तपदी यानी सात फेरे की रस्म पूरी न होने पर भी विवाह अवैध नहीं माना जाएगा, साथ ही यह भी कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम बंजारा (लंबाडा) जनजाति पर भी लागू होगा।"

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह की मान्यता को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ तौर पर कहा है कि

" यदि किसी हिंदू शादी में सप्तपदी यानी सात फेरे की रस्म पूरी न भी हो, तो भी वह विवाह अपने आप में अवैध नहीं माना जाएगा।"

परंपरागत रूप से सात फेरे को हिंदू विवाह में का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, लेकिन दिल्ली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम में हर स्थिति में सप्तपदी को अनिवार्य शर्त नहीं माना है.

➡️ बंजारा समुदाय की शादी पर भी लागू होगा हिंदू विवाह अधिनियम

     न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ द्वारा सुनाये गए इस फैसले के मामले में, पति ने पत्नी की तलाक अर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि 

"वे बंजारा (लंबाडा) जनजाति से हैं, जो अनुसूचित जनजाति में आती है। ऐसे में हिंदू विवाह अधिनियम उन पर लागू नहीं होता।"

पत्नी ने दावा किया था कि 

"शादी हिंदू रीतियों के अनुसार हुई और इसलिए तलाक भी इसी कानून के तहत हो।"

ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि 

"हिंदू विवाह में सप्तपदी यानी सात फेरे की रस्म पूरी न होने पर भी विवाह अवैध नहीं माना जाएगा, साथ ही यह भी कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम बंजारा (लंबाडा) जनजाति पर भी लागू होगा।"

प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

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