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लीज एंड लाइसेंस से सुरक्षित रहेगा घर

     आज तक मकान मालिक घर किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाते आ रहे हैं जिसमें घर को किराएदारी पर देने का 11 महीने का अनुबन्ध रहता है. घर के कब्जे को सुरक्षित रखने के लिए मकान मालिक द्वारा यह एग्रीमेंट अमल में लाया जाता रहा है किन्तु अब रेंट एग्रीमेंट की तुलना में लीज एंड लाइसेंस बनवाने की पहल की गई है जिस में व्यक्ति का मालिकाना हक रेंट एग्रीमेंट से ज्यादा सुरक्षित रहता है. यह दस्तावेज रेंट एग्रीमेंट या किरायेनामे की तरह ही आसानी से बन जाता है.     घर किराये पर देने से पहले हर मकान मालिक के मन में यह डर हमेशा रहता है कि कहीं किरायेदार घर पर कब्जा कर ले. जिससे बचने के लिए मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट बनवाते रहे है. फिर भी किराएदार के साथ कुछ न कुछ विवाद की संभावना बनी रहती है.      इसीलिए आज आप जानिए एक ऐसे दस्तावेज के बारे में जिसे तैयार कराने के बाद घर पर आपका मालिकाना हक और सुरक्षित हो जाएगा. अगर घर पर किरायेदार के कब्जे के डर से बेफ्रिक रहना है तो ‘लीज एंड लाइसेंस’ जरूर बनवाएं. क्योंकि, यह डॉक्‍यूमेंट मकान मालिक के हितों की रक्षा करता है....

अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 30 सितंबर से लागू

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       केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अधिवक्ता (संशोधन) अधिनियम, 2023, 30 सितंबर, 2024 को सक्रिय हो जाएगा। यह घोषणा अधिनियम की धारा 1 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के तहत की गई, जो पूरे भारत में कानूनी पेशेवरों के शासन में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करता है.       कानून और न्याय मंत्रालय के अनुसार इस संशोधन का उद्देश्य 1961 के अधिवक्ता अधिनियम को पुनर्जीवित करना है, जो कानूनी चिकित्सकों की ईमानदारी और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। आगामी परिवर्तन अधिवक्ताओं के आचरण से लेकर कानूनी समुदाय के भीतर कदाचार की चिरकालिक समस्या तक के मुद्दों से निपटने के लिए अमल में लाए गए हैं।     केंद्र सरकार द्वारा किया गया उल्लेखनीय संशोधन  धारा 45 ए में किया गया है जो उच्च न्यायालयों और सत्र न्यायाधीशों जैसे न्यायपालिका निकायों को दलाली के लिए जाने जाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन्हें सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाएगा। कानूनी व्यवसाय में दलाल उन्हें कहते हैं जिन्हें अक्सर शुल्क के लिए, वकीलों के लिए व्यवसाय की मांग करते देखा जाता है, वे दलाल ही अब कड...

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के AIBE 19 को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश

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  बार काउंसिल ऑफ इंडिया AIBE 19 परीक्षा 2024, 24नवंबर, 2024 को आयोजित करने जा रही है। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 की अधिसूचना 2024 के अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3-वर्षीय या 5-वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 (XIX) 2024 के लिए उपस्थित हो सकते हैं। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 2024: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3 वर्षीय या 5 वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री कोर्स के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे AIBE 19 (XIX) परीक्षा 2024 दे सकते हैं। AIBE 19 आवेदन प्रक्रिया 2024 वर्तमान में चल रही है और ऐसे छात्रों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 25 सितंबर, 2024 से शुरू होनी है जबकि अन्य छात्रों के लिए, जिनका बार काउंसिल में नामांकन हो चुका है  अखिल भारतीय बार परीक्षा के आवेदन की प्रक्रिया 3 सितंबर से आरम्भ हो चुकी है. AIBE 19 आवेदन 2024 भरने की अंतिम तिथि वही रहेगी। उम्मीदवार 25 अक्टू...

एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट देगा वकीलों को सुरक्षा?

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  Link post - Shalini Kaushik Law Classes      अब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट अगर लागू हो भी गया तो वकीलों को शायद ही कोई प्रोटेक्शन मिल पाएगा और यह स्थिति उभर रही है तब से जब से अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन के नए नियम आए हैं जिनमे अभ्यर्थी का पुलिस वेरीफिकेशन सम्बन्धित बार काउंसिल द्वारा अनिवार्य बना दिया गया है. एक साल पहले हापुड़ में महिला अधिवक्ता और उनके पिता के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में जाम लगा रहे वकीलों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया. इससे पहले महिला अधिवक्ता के साथ बीच सड़क पर सिपाही द्वारा अभद्रता और छेड़छाड़ की गई। जिसके बाद पूरे यू पी में दो सप्ताह से ज्यादा चली वकीलों की हड़ताल की यूपी बार कौंसिल अध्यक्ष श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने वापसी की घोषणा की। उनके द्वारा बताया गया कि अधिवक्ताओं की मांगें मान ली गई, दोषी पुलिस कर्मियों के निलंबन और तबादले करने, आंदोलन के दौरान वकीलों पर हुए मुकदमें वापस लेने, चोटिल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिलाने, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट यूपी में लागू करने और प्रदेश के प्रत्येक जिले में वकीलों के लिए शिकायत...

सार्वजनिक खंबे की लाइट बंद करना - कानून

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  (link post - shalini kaushik law classes)  भारतीय विद्युत अधिनियम, 1948 के अंतर्गत जो कोई भी दुर्भावनापूर्ण रूप से सार्वजनिक लैंप बुझाता है उसे कारावास की सजा से दंडित करने का प्रावधान है, जिसका समय 6 महीनों का हो सकता है, या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है जिसकी राशि तीन सौ रुपए है, या दोनो से दंडित किया जा सकता है।       और ये कानून उन सभी असामाजिक तत्वों को जान लेना चाहिए जो प्रतिदिन शाम को अंधेरा होते ही श्री राम दरबार सीता चौक कांधला पर स्थित बिजली विभाग द्वारा लगाए गए खम्भों पर लगी हुई लाइट को अपनी इच्छा के अनुसार बंद कर सार्वजनिक आवागमन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और आसपास के घरों की, महिलाओं की और बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को AIBE का अधिकार देना गैरजरूरी कदम

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            माननीय उच्चतम न्यायालय ने अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को 24 नवंबर को होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी,        न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए रजिस्ट्रेशन से बाहर करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि बीसीआई का निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी फोई लॉ कॉलेज एवं अन्य में संविधान पीठ के निर्णय के विपरीत है, जिसके अनुसार अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष निलय राय और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 577/2024 में सुनवाई के दौरान, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्तुत किया कि उन्हें फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट के संबंध में नियम बनाने के लिए समय चाहिए। ...

सड़कों पर रील बनाना स्टंट करना अपराध घोषित करे उत्तर प्रदेश सरकार

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 पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 34 में - सड़क आदि पर कुछ अपराधों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 34 कहती हैं कि -  कोई व्यक्ति जो किसी नगर की सीमाओं के भीतर किसी सड़क पर या किसी खुले स्थान या गली या मुख्य मार्ग पर, जिस पर राज्य सरकार द्वारा यह धारा विशेष रूप से लागू होगी, निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा जिससे निवासियों या यात्रियों को बाधा, असुविधा, कष्ट, जोखिम, खतरा या क्षति पहुंचे, वह मजिस्ट्रेट के समक्ष दोषसिद्धि पर पचास रुपए से अधिक का जुर्माना या आठ दिन से अधिक कठोर श्रम सहित या रहित कारावास से दण्डनीय होगा; और किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए यह वैध होगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को, जो उसकी दृष्टि में ऐसा कोई अपराध करता है, बिना वारंट के हिरासत में ले,     इसी धारा की उपधारा 7 में शरीर के अभद्र प्रदर्शन को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. आजकल रील बनाने के चलन में सड़कों पर लड़कों द्वारा मोटर साइकिल पर स्टंट कर और ल़डकियों द्वारा बीच सड़क पर नृत्य आदि कर यात्रियों और वाहनों के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा की जा रही है. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को चा...

न्याय व्यवस्था वकील न्यायालय की जिम्मेदारी - जस्टिस कांत

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https://hindi.livelaw.in/supreme-court/lawyers-strikes-supreme-court-seeks-information-on-abstention-from-work-by-all-district-bar-associations-in-up-269912  मामले में व्यक्त माननीय जस्टिस कांत के निम्न विचार पूरी न्याय व्यवस्था पर लागू होते हैं और हम सम्पूर्ण अधिवक्ता समुदाय की ओर से उनके विचारों की सराहना करते हैं -  *"जस्टिस कांत ने कहा, "यदि वकील न्यायालय, अपने मुवक्किल, समाज, व्यवस्था के अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को समझना शुरू कर दें...तो शायद उनमें से प्रत्येक को इस महत्व और जिम्मेदारी का एहसास होगा। इससे न केवल उनकी अपनी स्थिति बढ़ेगी, बल्कि व्यवस्था को भी सहायता मिलेगी।"*  प्रस्तुति शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल

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मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल 1- हत्यारों ने खुलासे में 3 सितंबर ही अपहरण का दिन बताया, dead body 4 सितंबर को मिली. फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में dead body 2-3 दिन पुरानी कैसे? 2- हत्यारों ने मुकदमे की रंजिश बताई फिर मृतक अधिवक्ता के कपड़े क्यूँ उतारे? 3- हत्यारों ने मृतक अधिवक्ता का चेहरा क्यूँ कुचला? 4- हत्यारे अपहरण कर महिला अधिवक्ता को कहां ले गए? 5- जो प्रॉपर्टी की रंजिश सामने आ रही थी, वह प्रॉपर्टी कहाँ है? ये वे प्रश्न हैं जिनका सुलझाना हत्याकांड के पूरे खुलासे के लिए जरूरी है. द्वारा -  शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली) 

75 वर्षों में भी दोयम दर्जे पर हिन्दी

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       सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वादी द्वारा हिंदी में प्रस्तुतियाँ देने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ क्रूरता और दहेज मामले को बस्ती जिले से प्रयागराज स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। सुनवाई आरंभ होने पर याचिकाकर्ता ने हिंदी में अपनी प्रस्तुतियां देना शुरू किया । जब उन्होंने अदालत को इस मुद्दे और उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में बताना समाप्त किया, तो जस्टिस रॉय ने उन्हें अदालत की भाषा के बारे में याद दिलाया। जस्टिस रॉय ने कहा, "इस अदालत में कार्यवाही अंग्रेजी में है। आप व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए हैं, इसलिए हमने आपको बीच में नहीं रोका है ताकि आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं वह कह सकें। यहां दो न्यायाधीश बैठे हैं और आपको यह सुनिश्चित किए बिना हिन्दी में इस तरीके से अपनी दलीलें देने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि क्या न्यायालय आपको समझने में ...

धारा 377 आईपीसी अब

 Shalini Kaushik Law Classes - post link  1 जुलाई 2024 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) द्वारा भारतीय दंड संहिता की बाकी धाराओं के साथ धारा 377 को पूरी तरह से बदल दिया गया। जुलाई 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक यौन संबंधों के संबंध में धारा के कुछ हिस्सों को पहली बार असंवैधानिक करार दिया गया था।भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह प्रस्तावित की गई 'भारतीय न्याय संहिता, 2023' में आईपीसी की विवादित धारा 377 को पूरी तरह से हटा दिया गया है. धारा 377 समलैंगिक संबंधों को दंडित करती थी. बीएनएस धारा 377 को बरकरार नहीं रखता है। निरस्त आईपीसी की धारा 377 में दो वयस्कों के बीच गैर-सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध, नाबालिगों के खिलाफ यौन गतिविधियों और पशुता को दंडित किया गया था। गृह मामलों की स्थायी समिति (2022) ने इस प्रावधान को फिर से लागू करने की सिफारिश की है। शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन....

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     उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन     उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग सांस्कृतिक धरोहरों को कविता, साहित्य और कला के माध्यम से आगे बढ़ाने वाले कलाकारों-कवियों के लिए पेंशन योजना शुरू करने जा रहा है. इसमें 60 साल की उम्र पार कर चुके कवियों, कलाकारों और साहित्यकारों को सरकार की तरफ से पेंशन दी जाएगी. इसके लिए विभाग जल्द ही एक गाइडलाइन तैयार कर रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि सरकार कम से कम ₹2000 पेंशन देने का विचार कर रही है. कलाकारों, कवियों, साहित्यकारों के प्रति ये निष्ठा अनुकरणीय है, देश की सेवा में इन सभी का अभूत पूर्व योगदान है. किन्तु एक अधिवक्ता होने के नाते मेरा उत्तर प्रदेश सरकार से एक सवाल है कि आखिर अधिवक्ताओं के प्रति यह निष्ठा कब उजागर होगी, आखिर देश की सेवा में , लोकतंत्र की सेवा में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक अधिवक्ताओं का कुछ योगदान तो माना ही जा सकता है. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी

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(पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी)  कासगंज न्यायालय की महिला अधिवक्ता मोहिनी तोमर को 3 सितंबर दिन मंगलवार को दोपहर बाद अगवा किया जाता है , मोहिनी तोमर का शव नग्नावस्था में गोरहा नहर में रजपुरा गांव के समीप 4 सितंबर दिन बुधवार को अपहरण के लगभग 30 घण्टे बाद नहर में उतराता हुआ मिलता है . मोहिनी तोमर एडवोकेट कासगंज जिला सत्र न्यायालय में वकील के तौर पर कार्यरत थीं.  शव का चेहरा बिगड़ा हुआ था और क्योंकि शव का चेहरा क्षतिग्रस्त था तो पति बृजेंद्र तोमर ने लाश की शिनाख्त हाथ पर कट का निशान और हाथ में पहने कड़े के आधार पर मोहिनी तोमर के रूप में की. पुलिस की ढीली कार्यवाही के चलते एक अधिवक्ता- महिला अधिवक्ता का दिनदहाड़े अपहरण होता है, 30 घण्टे बाद भी अगर मिलती है तो महिला अधिवक्ता एक लाश के रूप में मिलती है, विकृत चेहरे और निर्वस्त्र, चोटिल शरीर के साथ. हापुड़ कांड के समय पुलिस के दुर्व्यवहार को देखते हुए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कमेटी गठित की गई थी, कहाँ है एक्ट? क्या दूसरों के लिए न्याय दिलाने वाले ...

हाई कोर्ट का निर्णय अधिवक्ता एकता पर कुठाराघात

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(Shalini Kaushik Law Classes post link)   इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि किसी वकील या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाना, हड़ताल का आह्वान करना या किसी वकील, न्यायालय के अधिकारी या कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों की मृत्यु के कारण शोक संवेदना के रूप में कार्य से विरत रहना, प्रत्यक्षतः आपराधिक अवमानना ​​का कृत्य माना जाएगा।      जहां तक माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण न्यायालय में रुके हुए न्यायिक कार्यों पर चिंता को देखते हुए वकीलों या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाने की बात सामान्य मुद्दों पर देखा जाए तो सही कहीं जाएगी, किन्तु यदि हम अधिवक्ता समुदाय द्वारा शोक जताने के लिए हड़ताल को देखते हैं तो माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को अपने निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने के लिए ही आग्रह करेंगे क्योंकि उच्च न्यायालय इलाहाबाद का यह फैसला देखा जाए तो अधिवक्ता सम्वेदना को आपराधिक अवमानना के दायरे में घसीट रहा है जो कतई गलत है.       माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि शोक सभा का आयोजन किसी भी का...

साइबर ठगी

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 कोई रिश्तेदार बनकर आवश्यकता बताकर साइबर ठगी कर रहा है, कोई धन दुगना करने का लालच देकर ऑनलाइन ठगी कर रहा है, कोई एप मोबाइल फोन पर भेजकर उसमें फॉर्म भरवा कर लोगों के खाते की नकदी साफ कर रहा है और ये जो हो रहा है सब साइबर ठगी के अंतर्गत आता है. यह सब मुख्यतः तबसे ज्यादा होने लगा है जब से हम ऑनलाइन पेमेंट करने लगे हैं, ऑनलाइन ट्रेडिंग कर रहे हैं. ऑनलाइन ट्रेडिंग में ठगी से बचाव ऐसे करें  :  ट्रेडिंग वाली वेबसाइट रजिस्टर्ड होनी चाहिए। * सेविंग एकाउंट में ही धनराशि ट्रांसफ़र करें । एकाउंट की डिटेल संबंधित बैंक से की जा सकती है। * ट्रेडिंग कंपनी के खातों में ही रुपये डाले, अन्य के खातों में रुपये डालने से बचें। इसके साथ ही, साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 डायल करें। यदि वे इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं तो तुरंत 1930 पर कॉल करें। तुरंत कॉल करने पर ठगी का रुपया वापस भी दिलाया जाता है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले की साइबर सैल ने तीन माह में 20 से अधिक लोगों को ठगी होने से बचाया है। अब सतर्क रहकर ऑनलाइन ट्रेडिंग करें और यदि फिर भी ठगी के शिकार हो जाते ...

@snappygirls02 के सास ससुर के घर और स्त्रीधन के कानूनी अधिकार

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(सपना चौधरी के सास ससुर के घर और स्त्रीधन के कानूनी अधिकार shalini kaushik law classes - link)        आज यू ट्यूब के फॅमिली व्लॉग ऑनलाइन व्यूवर्स की पहली पसंद बने हुए हैं। कई मिलियन Subscribers  के साथ व्यूवर्स की विशेष पसंद बने @TheRott और @snappygirls02 के ओनर सूरज चौधरी थे. सूरज चौधरी की धर्मपत्नी सपना चौधरी की इन व्लॉग को कामयाबी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। कोरोना काल में दुर्भाग्यवश सूरज चौधरी का कोरोना संक्रमण के कारण आकस्मिक निधन हो गया तब सपना व सूरज की नवजात पुत्री आरू मात्र कुछ माह की थी। पारिवारिक दबाव में सपना को बच्ची के भविष्य को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सूरज चौधरी के छोटे भाई राजवीर चौधरी से विवाह स्वीकार करना पड़ा। सपना के जीवन में पुनः खुशियां आई। राजवीर व सपना के एक और प्यारी सी बच्ची आरोही हुई। विधाता पर कुछ और ही खेल खेल रहा था। सपना मायके गई हुई थी और इधर राजवीर चौधरी को एक तेज रफ्तार गाड़ी ने कुचल डाला जिसके कारण उसकी भी मृत्य हो गई। अब परिवार में बचे केवल सास-ससुर, सपना, दोनों बच्चियां और सास द्वारा गोद ली गई(अनौपचारिक रूप स...

योगी सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी

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योगी जी की नई सोशल मीडिया पॉलिसी   उत्तर प्रदेश सरकार ने नई सोशल मीडिया पॉलिसी  को मंजूरी दी है । इस संबंध में नीति लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी । सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पोस्ट का कंटेंट अभद्र, अश्लील और राष्ट्र विरोधी नहीं होना चाहिए।     सूचना विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, "सरकार ने यूपी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में ट्वीट/वीडियो/पोस्ट/रील जैसे डिजिटल माध्यमों के माध्यम से सामग्री बनाने और प्रदर्शित करने के लिए एजेंसियों/फर्मों को विज्ञापन देने के लिए सूचीबद्ध करने का फैसला किया है। इससे राज्य के नागरिकों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।"   लागू की गई नीति के अनुसार, अगर ऐसा पाया जाता है कि कोई भी कन्टेन्ट (मैटर) राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी, या अभद्र या समाज की विभिन्न वर्गों की भावना को ठेस पहुंचाता हो, या गलत तथ्यों पर आधारित हो, सरकार की योजनाओं को गलत मंशा से या गलत ढंग से प्रस्तुत करता हो तो उस स्थिति में सूचना निदेशक की स्वीकृति से भुगतान सम्बन्धी शर्तों को ...

मिठाई खरीदें पर ध्यान से

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       देश प्रदेश में इस समय श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के आगमन की धूम है. मिठाई विक्रेताओं के यहां ग्राहकों की भीड़ जुटी हुई है. जहां ग्राहक जल्दबाजी में उत्तर प्रदेश सरकार के इस सम्बन्ध में बनाए गए कानून की जानकारी के अभाव में ज्यादा पैसे चुकाकर कम मिठाई खरीद रहे हैं. तो आप सभी जान लीजिए उत्तर प्रदेश में अब मिठाई के साथ डिब्बे का भी वजन शामिल करने पर दुकानदार को पांच हजार रुपया तक जुर्माना देना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में किसी भी शहर, जिले, कस्बे या गांव में अगर दुकानदार आपको गत्ते के डिब्बे के साथ मिठाई तोलकर देता है तो तत्काल आप इसकी शिकायत करें, ऐसा करने वाले दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।       उत्तर प्रदेश में सामानों की घटतौली की शिकायत को लेकर घटतौली करने वालों के खिलाफ सरकार के निर्देश पर बाट माप विभाग ने कार्रवाई की रणनीति बनाई. बाजार में मिठाई लेते समय काफी दुकानों पर देखा जाता है कि जितनी महंगी मिठाई होती है, उतना ही डिब्बे का मूल्य लगता है. विशेष रूप से त्योहारों के समय तो मिठाई की मांग बढ़ने पर मिठाई के साथ डिब्बे का वजन तौल...

अधिवक्ता समुदाय का गौरव - श्री मनन कुमार मिश्र

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        बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 7 बार से चेयरमैन बने रहने का रिकॉर्ड कायम करने वाले बिहार के गोपालगंज से अधिवक्ता श्री मनन कुमार मिश्र को बिहार से राज्यसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी के रूप में उतारा है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया जाना अधिवक्ता समुदाय के लिए एक बड़े सम्मान के रूप में देखा जा रहा है.  *जन्म        मनन कुमार मिश्रा मूल रूप से बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के तिवारी खरेया गांव के मूल निवासी हैं। मनन कुमार मिश्र के पिता पंडित शिवचंद्र मिश्र गोपालगंज सिविल कोर्ट के बड़े अधिवक्ता थे. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गोपालगंज जिले में ही हुई है।  *शिक्षा एवं कार्यक्षेत्र       मनन कुमार मिश्रा ने 1980 में पटना लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री हासिल कर गोपालगंज सिविल कोर्ट में वकालत शुरू की। वह अपने बैच के टापर व गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। गोपालगंज में एक साल वकालत करने के बाद उन्होंने 1982 में पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।  पहली बार 1989 मे...

भारत बंद और सुप्रीम कोर्ट

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: 21 अगस्त 2024 को भारत बंद का ऐलान किया गया है। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ किया गया है, जिसे ऐतिहासिक इंदिरा साहनी केस में लिए गए निर्णय के खिलाफ बता रहे हैं राजनीतिक दल   *भारत बंद की प्रमुख वजह-विरोध सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ?*  सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था,  ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।'' सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। "     बस एससी - एसटी आरक्षण के वर्षों से चली आ रही परम्परागत स्थि...

मीडिया रिपोर्टिंग कानूनी कार्रवाई में बाधक

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  आपराधिक कानूनी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है "शिनाख्त या पहचान परेड", पहचान परेड का उपयोग गवाह की ईमानदारी और अज्ञात लोगों को पहचानने की क्षमता का आकलन करने के लिए किया जाता है। पहचान परेड का पुष्टिकरण या मूल मूल्य निर्विवाद है, और पर्याप्त साक्ष्य या मुख्य साक्ष्य के रूप में इसका उपयोग खारिज कर दिया गया है। सबूत के तौर पर, पहचान परीक्षण पूरी तरह से पुष्टि करने वाला और गौण है। शिनाख्त का अर्थ होता है पहचानना। जब कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद पकड़ा जाता है तब यह पक्का करने के लिए कि वही अपराध करने वाला है, पीड़ित व्यक्ति से उसकी पहचान करवाईं जाती है। अपराधी को कई व्यक्तियों के बीच खड़ा कर दिया जाता है और फिर पीड़ित व्यक्ति को बुला कर उनमें से अपराधी को पहचानने के लिए कहा जाता है और पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपराधी को पहचान  करने की इस कार्यवाही को ही शिनाख्त परेड कहते हैं।        भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 9 शिनाख्त परेड के संबंध में प्रावधान करती है. धारा 9 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में धारा 7 हो गई है जिनमें शिनाख्त की कार्यवाही अभियुक्त की...

पूरे देश में अधिवक्ताओं का भविष्य खतरे में

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 विभिन्न प्रदेशों की बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण पर अत्यधिक शुल्क वसूली पिछले कुछ महीनों से माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अधीन थी, गौरव कुमार बनाम भारत संघ की मुख्य याचिका के साथ एक पूरा याचिकाओं का समूह था. याचिकाओं में अलग अलग बार काउंसिल द्वारा लिए जाने वाले नामांकन शुल्क को अत्याधिक बताया गया था. याचिकाओं की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड की अगुवाई वाली बेंच कर रही थी जिसमें जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा सम्मिलित थे. याचिकाओं के इस समूह में एक ही सवाल उठाया गया  कि क्या नामांकन शुल्क के रूप में अत्यधिक शुल्क वसूलना अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24(1) का उल्लंघन है? एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24 (1) (च) में एडवोकेट एनरोलमेंट के लिए शुल्‍क निर्धारित की गई है जिसके तहत सामान्‍य वर्ग के लिए 750 रुपये और एसटी एससी के लिए 125 रुपये शुल्‍क तय है लेकिन आरोप था कि हर राज्‍य की बार काउंसिल वकीलों से इसके लिए 15 से 45 हजार तक फीस ले रही हैं. इन्हीं सवालों पर गौर करते हुए अधिवक्ताओं के नामांकन शुल्क को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ...

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के लिए ख़ुश खबरी

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उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के लिए ख़ुश खबरी (SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES)  माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन का कार्य पुनः आरंभ कर दिया गया है. प्राप्त सूचना के अनुसार अब ST अर्थात अनुसूचित जनजाति के विधि स्नातक का अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन 125/- रुपये में और अन्य जातियों के विधि स्नातक का अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन 750/-रुपये में होगा. ये रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा इसके साथ ही, यह खबर भी सामने आ रही है कि इस तरह के अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन के बाद अधिवक्ताओं को बार काउंसिल से जो मेडिकल अनुदान, न्यासी निधि अनुदान, मृत्यु अनुदान जैसी सुविधाएं प्राप्त होती थी वे सभी सुविधाएं भी बंद हो जाएंगी.अब अधिवक्ताओं को केवल अपनी वक़ालत की कमाई पर ही निर्भर रहना होगा क्योंकि इतनी कम राशि में अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन के बाद वकीलों की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था के हाथ भी सीमित राशि से बंधे होने के कारण उनकी सहायता खुले हाथों से नहीं कर पाएंगे.  द्वारा शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना

तिरंगे का कानून के अनुसार सम्मान करें सभी भारतीय

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 उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल भी 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाये जाने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं । इस दौरान जनता को निजी व सरकारी प्रतिष्ठानों पर झंडा फहराने के लिए प्रेरित किया जाएगा .        आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वर्ष 2022 में आरम्भ हर घर तिरंगा अभियान में इस बार भी स्मृति चिह्न के रूप में सुरक्षित रखे गए तिरंगे झंडों का प्रयोग होगा। 11 से 17 अगस्त 2024 तक स्वतंत्रता सप्ताह के रूप में और 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान मनाये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा जारी किए गए हैं. हर घर तिरंगा अभियान की सफलता के लिए जिलों में भाजपा के कार्यालयों के साथ ही डाकघरों से भी तिरंगे झंडों की बिक्री की जा रही है। रविवार को भी हर जगह झंडा बिक्री के लिए पोस्ट आफिस खुले रखने के आदेश किए गए हैं। देश के साथ प्रदेश में भी आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा अभियान की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। हर घर तिरंगा अभियान के तहत राष्ट्रीय ध्वज की तेजी से बिक्री की सुविधा के लिए सरकार अपनी तरफ से लगी हुई है। हर घर तिरंगा अभियान...

उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा कानून सख्ती से लागू कराना जरूरी

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 देश में उपभोक्ता की स्वास्थ्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 पारित किया गया. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 को 23 अगस्त, 2006 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई, और इसे सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है: -  खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 संख्या 34, 2006।       यह अधिनियम खाद्य से संबंधित कानूनों को समेकित करने तथा खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने, उनके विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने, मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की स्थापना करने के लिए बनाया गया है। * सील बंद सामान बेचने के नियम -  उपभोक्ताओं के हित में केंद्र सरकार ने कानून पारित कर घटिया खाद्य सामग्री बेचने पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। इसके तहत ठेलेवाले हों या दुकानदार, सभी को सील बंद सामान बेचना है।       बिना लाइसेंस के...